Friday 19 September, 2008

याद आती हैं इस सावन में उस सावन की बातें

याद आती हैं इस सावन में
उस सावन की बातें


याद आती हैं इस सावन में
उस सावन की बातें
वो ठहरी हुई गर्म साँसों में
लिपटी भीगी हुई रातें
वो अल्हड़ बारिश की बूंदों से
खेलती तुम
लिए होंठों पर मीठी सी दामिनी
बचपन में लौटती तुम
वो खिलखिलाती हंसी
और आसमान को छूती हुई बाहें
उंगलियों से लिपटता दुपट्टा
वो शरारती निगाहें
और सुनसान सड़कों पर
बेवजह टहलती मुलाकातें
याद आती हैं इस सावन में
उस सावन की बातें

वो बिखरे बालों में मोती सी दमकती
पानी की बूँदें
वो सुर्ख होंठों के चुंबन को तरसती
पानी की बूँदें
वो कभी खुशी से और कभी गम से
आँखों से बरसती
पानी की बूँदें
वो सरसराती हवाओं में
थरथराते होंठों से निकली
कुछ बहकी हुई सी बातें
याद आती हैं इस सावन में
उस सावन की बातें

वो अंजुलि भर पानी में तैरते सपनों में
खुद को खोजती तुम
कभी खामोशी की चादर में लिपटी
और कभी रिमझिम सी बोलती तुम
कभी बादलों में बनाती तस्वीरें
कभी झिलमिलाते तारो' से मांगती तुम
तुमने जो मांगा मिला वो तुमको
मुझको मिली ये तन्हाई
और आँसुओं सी गिरती बरसातें
याद आती हैं इस सावन में
उस सावन की बातें